About Chairman
आपकी सराहनीय कार्यकुशलता, अद्वितीय उत्साह तथा
उत्तमोत्तम अनुशासन प्रबन्ध के कारण हमारा महाविद्यालय
सदा उन्नति पथ पर अग्रसर है।
भारत का प्रत्येक संस्कारवान नागरिक अपने देश की भूमि को माता के समान
पूजता है। इस पावन भूमि पर जो कुछ है वह हमारी भारत माता का विग्रह है। इसी
की वंदना करते हुये बंगपुत्र श्री बंकिमचन्द्र चटर्जी ने वन्दे मातरम की रचना की
थी। अपने छात्रों में इस प्रकार की बौद्धिक ईमानदारी या बौद्धिक चेतना पल्लवित
करने की दृष्टि से इस संस्था के संस्थापक माननीय गिरिजा शंकर शुक्ल जी ने
ऐसा उपक्रम किया है जिससे संस्था के इन मूल उद्देश्यों की प्राप्ति में अवरोध न
उत्पन्न हो।
"एक दिया जल रहा फैलाकर अपनी रोशनी।
जिसके दम से आज रौशन हैं हजारों जिन्दगी।।"