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महाविद्यालय में इलाहाबाद राज्य विश्व विद्यालय, इलाहाबाद के कला संकाय, विज्ञान संकाय,वाणिज्य संकाय की स्नातक उपाधि व परास्नातक उपाधि के लिए प्रवेश प्रारभ है

छात्र/छात्राओं के प्रवेश के लिये कार्यालय प्रात: ९ बजे से सांय ४ बजे तक, शनिवार को दोपहर १२ बजे तक खुला रहेगा।

स्नातक द्वितीय वर्ष ,तृतीय वर्ष व परास्नातक का प्रवेश विश्वविद्यालय द्वारा परीक्षाफल घोषित होने के एक सप्ताह के बाद प्रारम्भ होगा।

महाविद्यालय NEP 2020 द्वारा संचालित है। स्नातक में 6 सेमेस्टर, परास्नातक में 4 सेमेस्टर तथा डी एल एड में 4 सेमेस्टर परीक्षा प्रणाली लागू है।

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About Mahavidyalaya Derwa

भारत में विद्यार्थियों का शैक्षिक सामाजिक स्थिति में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ है। आज का विद्यार्थी, जीवन और भविष्य की परिकल्पना केवल घर परिवार की परिधि में ही नहीं वरन् बाह्य जगत की चुनौतियों को स्वीकार कर सकने वाली सक्षम इकाई के रूप में भी करता है। इसलिये आज उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय की मांग की उत्तरोत्तर वद्धि हुई है।उच्च शिक्षा दो तट वाली नदी के समान है। एक तट से विद्यार्थी विषयगत ज्ञान अर्जित करता है तो दूसरे तट से जीवनगत मूल्य। इन दोनों के समन्वय से ही विद्यार्थी के सम्पूर्ण यक्तित्व और चरित्र का परिष्कार होता है।

स्नातकोत्तर महाविद्यालय डेरवा, प्रतापगढ़ जनपद में छात्र/छात्राओं की उच्च शिक्षा की एक कड़ी में प्रमुख शैक्षिक संस्था है जो आधुनिक विद्यार्थी जीवन के स्वरूप और आदर्श परम्पराओं तथा जागरूक मानव मूल्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है। यह महाविद्यालय सहज-सरल व्यक्तित्व सम्पन्न प्रबुद्ध शिक्षित शिक्षार्थी वर्ग की स्थापना में अपना योगदान दे रहा है।

स्नातकोत्तर महाविद्यालय डेरवा, प्रतापगढ़ पूर्व में डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैज़ाबाद व वर्त्तमान में इलाहाबाद राज्य विश्व विद्यालय,इलाहाबाद से सम्बद्ध है और वर्ष २००४ से भारतीय मनीषा की सजग समृद्धि में अपना अथक योगदान दे रहा है।

भारत का प्रत्येक संस्कारवान नागरिक अपने देश की भूमि को माता के समान पूजता है। इस पावन भूमि पर जो कुछ है वह हमारी भारत माता का विग्रह है। इसी की वंदना करते हुये बंगपुत्र श्री बंकिमचन्द्र चटर्जी ने वन्दे मातरम की रचना की थी। अपने छात्रों में इस प्रकार की बौद्धिक ईमानदारी या बौद्धिक चेतना पल्लवित करने की दृष्टि से इस संस्था के संस्थापक माननीय गिरिजा शंकर शुक्ल जी ने ऐसा उपक्रम किया है जिससे संस्था के इन मूल उद्देश्यों की प्राप्ति में अवरोध न उत्पन्न हो। इस संस्था के प्रबंधक डॉ शिप्रा शुक्ला जी ने इस उद्देश्यों की प्राप्ति में सदैव महाविद्यालय को सक्रिय योगदान दिया है।